AMAN AJ

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आई नोट , भाग 8

1

    
    अध्याय-2
    लक्ष्य और मकसद 
    भाग-1
    
    ★★★

        एक आलीशान ऑफिस की एक आलीशान सीट पर तकरीबन 30 साल की उम्र का एक शख्स बैठा हुआ था। उसके दोनों हाथ की कोहनीयां आलीशान कुर्सी के हैंडल पर थी, ठोढ़ी हाथों के ऊपर टिकी हुई थी। बिल्कुल क्लीन शेव वाले चेहरे पर आई हल्की दाढ़ी इस बात की ओर संकेत कर रही थी कि वह क्लीन शेव चेहरे को पसंद करता हैं। आंखें मुरझाई हुई थी, कमजोरी और देर रात जगने का एक नतीजा प्रकट करते हुए, होठों की मुस्कान आम थी। उसके माथे के ऊपर बनने वाली लकीरें कुछ हद तक इस बात की ओर संकेत कर रही थी कि इसे भी एक अजीब सी आदत है। एक ऐसी अजीब सी आदत जिसमें मन मस्तिष्क के अंदर अलग ही दुनिया बन जाती हैं। वह दुनिया जहां विचारों का आदान-प्रदान होता है, सच झूठ का फैसला होता है, इमोशन, गुस्सा, दुख, हर एक चीज को महसूस किया जाता है। भले ही चेहरे पर लाख शांति हो, मगर मन मस्तिष्क की इस दुनिया में हमेशा तहलका मचा रहता है। काले रंग के कोट पेंट में मौजूद यह शख्स अपने आप में अनोखा था।
    
    शख्स ने अपने माथे की लकीरों को गहरा किया और अपने मन में कहा “किसी महान शख्स ने कहा है इंसानी जिंदगी एक कहानी है, इंसान पैदा होता है, मरता है, और इस दौरान अपनी पूरी कहानी जी जाता है, मगर हर इंसान अपनी कहानी का हीरो नहीं होता। कुछ इंसान ऐसे भी होते हैं जो अपनी ही कहानी के विलेन होते हैं। दे काॅल्ड द बेड कैरेक्टर ऑफ स्टोरी। एंड आई एम देट बेड कैरेक्टर। बुरे किरदारों का भी अपना अलग मजा है। वह चीजों को समझते हैं, अपना नजरिया प्रकट करते हैं, और फिर .... फिर उन्हें खत्म कर देते हैं। हमेशा हमेशा के लिए।” उसने अपने चेहरे पर शैतानी मुस्कान दी और अपने मन में सोची जाने वाली बात को खत्म किया। लंबी ठोढ़ी वाले उसके चेहरे पर शैतानी मुस्कान काफी खतरनाक लग रही थी।
    
    वह अपनी जगह से खड़ा हुआ और कुर्सी से उठता हुआ दफ्तर से बाहर चलने के लिए चल पड़ा। दफ्तर से बाहर चलते वक्त वह अपने आसपास मौजूद हर किसी के चेहरे की तरफ देख रहा था। उसके आसपास अलग-अलग लोग अलग-अलग काम कर रहे थे। कोई कुछ तो कोई कुछ।
    
    उसने उन लोगों के चेहरों की तरफ देखते हुए अपने मन में कहा “इंसानी जिंदगी, इंसानी जिंदगी बस एक तरह की भागदौड़ ही है। लोग उठते हैं, अपने डेली रूटीन को फॉलो करते हैं, दिन भर काम करते हैं, इसके बाद शाम को जाकर सो जाते हैं। ना तो उनका कोई मकसद होता है, ना ही उनका कोई लक्ष्य। मगर मैं ऐसा नहीं हूं। मेरी जिंदगी में दोनों ही हैं। मकसद भी और लक्ष्य भी।”
    
    वह लिफ्ट के पास पहुंच गया। उसने लिफ्ट पर सीधे ग्राउंड फ्लोर का बटन दबाया और अपनी पेंट में हाथ डाल कर खड़ा हो गया। 
    
    हाथ डाल कर खड़े हो जाने के बाद उसने अपनी बात को आगे जारी रखा “मैं बचपन से ही ऐसा था। अपने लक्ष्य और अपने मकसद को निर्धारित कर चलने वाला। मैंने अपनी जिंदगी में ऐसा कोई काम नहीं किया जिसमें लक्ष्य और मकसद ना हो। किसी इंसान को ऐसा करना भी नहीं चाहिए। इससे भटकाव पैदा होता है और इंसान अपनी मंजिल से भटक जाता है। एक बार अगर इंसान अपनी मंजिल से भटक गया, तो वह लाख कोशिश क्यों ना कर ले, कभी अपनी मंजिल पर दोबारा नहीं आ पाता।”
    
    जैसे ही लिफ्ट खुली नीचे कार पार्किंग का क्षेत्र दिखाई दिया। दफ्तर में काम करने वाले लोगों की ढेर सारी कारें एक के बाद एक कतार में खड़ी हुई थी। उन्हीं कारों के बीच एक लग्जरी और बड़ी कार भी थी जिसके ठीक बगल में एक पुरानी खटारा कार खड़ी हुई थी।
    
    शख्स ने सबसे पहले लग्जरी कार का रुख किया और उसका पीछे का दरवाजा खोलते हुए उसमें चला गया। तकरीबन 5 मिनट तक वह उसके अंदर ही बैठा रहा। इसके बाद दरवाजा खुला और वह बाहर निकला। बाहर निकलते ही वह अपने अलग ही रूप में नजर आया। अंदर जाते वक्त जहां उसने महंगा कोट पेंट पहन रखा था वहीं अब वह पंजामे में और काले रंग की हड्डी में था। ऐसी हुडडी में जिसमें उसकी पहचान छुप रही थी।
    
    अपने इसी रूप के साथ वह पास मौजूद पुरानी खटारा कार की तरफ बढ़ा और उसका दरवाजा खोलकर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया। ड्राइविंग सीट पर बैठने के बाद उसने अपने दोनों हाथों स्टेरीग पर रखे और मन में कहा “कुछ लक्ष्य और मकसद ऐसे होते हैं जिन्हें पाने के लिए अपनी पहचान और रूप दोनों को बदलना पड़ता है। इन लक्ष्यों और मकसदों को दुनिया अपने नजरिए में सही नहीं समझती। उन्हें लगता है यह सब वैचारिक समाज में गलत विचारधारा को दिखाता है। ऐसे में समाज में बने रहना, और समाज में बने रहकर इस लक्ष्य और मकसद को पाना, इसके लिए पहचान बदलना जरूरी है।”
    
    उसने कार स्टार्ट की और गैयर डालते हुए उसे आगे बढ़ा दिया। जल्द ही कार मेन रोड पर चल रही थी। शाम का समय था। सूरज अपने अंतिम छोर की ओर जा रहा था। शाम के धुंधलेपन वाले अंधेरे ने सड़क और पूरे आसमान पर कब्जा कर रखा था। कारो की हेडलाइट जग गई थी, जो शहर की सड़क पर एक सुंदर नजारे को दिखा रही थी।
    
    तकरीबन 30 मिनट बाद तक शख्स की कार किसी घर के बाहर मौजूद सड़क के किनारे पर खड़ी हुई दिखाई दी। कार जिस भी घर के पास खड़ी थी वह घर ज्यादा बड़ा नहीं था। वो तकरीबन एक मिडिल क्लास घर लग रहा था। घर में कुछ अजीब हो रहा था, कुछ ऐसा जिसमें एक पति पत्नी की जोरदार लड़ाई हो रही थी। समान उठा कर इधर-उधर फेंका जा रहा था। 
    
    शख्स इस लड़ाई को सुन जरूर रहा था मगर उसका सारा ध्यान स्टेरिंग और अपने सामने की सड़क पर था। खामोश चेहरे पर आए खामोश भाव यह दिखा रहे थे कि उसे अपनी बात करने के लिए किसी साथ की जरूरत नहीं, वह इस वक्त भी अपनी बा?

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2 Comments

Fauzi kashaf

02-Dec-2021 10:36 AM

Very nice

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Arman Ansari

01-Dec-2021 06:26 PM

वाह सर आपकी कहानी का एक एक शब्द स्पष्ट है कि कहानी की कह रही है अभी मैने ये ही पाठ पढ़ा है अच्छा लग बहुत आगे के पार्ट रात को पढ़ते हैं

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